HISTORY OF MAITHLI MOVIE:

मैथिली फिल्मक विकास यात्रा- अपन मिथला धाम 
31 मइ, 2009। मिथिलाक मानचित्रा पर एखन लगभग एक सय दस टा सिनेमा हॉल अछि। एहिमे ओहि बाँसवला सिनेमा हॉलक गनती नहि अछि जे हाल-फ़िलहालमे मिथिलाक विभिन्न गाम आ हाट-बजार आदिमे बनल अछि किन्तु आश्चर्य! एखन कोनो सिनेमाघरमे मैथिली फिल्मक नहि चलि रहल अछि। पछिला वर्ष अर्थात नवम्बर 2008मे मात्रा किछु दिनक लेल जयनगरक एकटा सिनेमा हॉलमे मनोज झा निर्देशित ‘सुहागिन’ जेना-तेना चलि सकल, सेहो प्रायः एही कारणे जे एहि फिल्मक निर्देशक जयनगरक बसिन्दा छथि। पाया पारक मिथिला अर्थात नेपालक मैथिली भाषी क्षेत्रामे सेहो सिनेमाघरक कमी नहि अछि किन्तु ओतहु हिन्दी अथवा नेपाली फिल्म छोड़ि कोनो मैथिली फिल्म नहि लागल अछि। तात्पर्य ई जे भारत आ नेपाल स्थित दुनू पारक मिथिलाक लगभग 200 सिनेमाघरमे पछिला वर्ष मात्रा एकटा फिल्म लागल आ जे सप्ताहो नहि पूरल कि उतरि गेल। एहि वर्ष एखनध्रि एकहुटा फिल्म रिलीज नहि भेल अछि। 

मैथिली फिल्म उद्योग कतेक पानिमे अछि, ई उपरोक्त तथ्यसँ नीक जकाँ स्पष्ट भ’ जाइत अछि। एहि जरल पर नोन तखन आर छिंटा जाइत अछि जखन हमरा लोकनि ई जनैत छी जे मिथिलाक उक्त सिनेमाघर सभमे भोजपुरी फिल्म चारि-चारि सप्ताह धरि चारू शो ‘हाउसपुफल’ जाइत अछि। शंकर टॉकिज, मध्ुबनीमे ‘निरहुआ रिक्शावाला’ सिल्वर जुबली मनेबाक स्थितिमे छल। मनोज तिवारीक ‘ससुरा बड़ा पैसावाला’ सेहो मिथिलाक विभिन्न भागमे खूबे चलल। तात्पर्य ई जे रानी चटर्जी, रिंकू घोष, रवि किशन, दिनेशलाल यादव निरहुआ, मनोज तिवारी आदि कलाकार भोजपुरी भाषी क्षेत्राक तुलनामे मिथिलामे बेसी लोकप्रिय छथि त’ एकर मूल कारण यैह अछि जे हमरा लोकनिक सिनेमाघर हुनका सभक फिल्म लेल सदिखन अजबारल छनि। से किएक? एकर की कारण? मैथिली भाषा एवं संस्कृतिक प्रति हमरा लोकनिक निष्ठा कहीं अलोपित त’ नहि भ’ रहल अछि? आ कि एकर किछु आन कारण अछि?

वर्ष 1932 ई.मे भारतक पहिल सवाक् फिल्म ‘आलम आरा’क निर्माणक 32 वर्ष बाद शुरू भेल मैथिली फिल्मक इतिहास यद्यपि पैंतालीस वर्ष पुरान अछि किन्तु संकोचक संग ई मानहि पड़त जे मैथिली फिल्म उद्योग एखनहुँ धरि शैशवेवस्थामे अछि। ममता गाबय गीत, कन्यादान, भौजी माय आ जय बाबा बैजनाथ सन चारि गोट कसल कथा-पटकथा आ गीत-संगीत वला फिल्म सँ ‘स्टार्ट’ लेबय वला मैथिली फिल्मक उद्योग आइध्रि जँ अपन पैर पर ठाढ़ नहि भ’ सकल अछि त’ एकर अनेक कारण भ’ सकैछ। एहि आलेखमे हम पाठक लोकनिके ँ मैथिलीमे अद्यावध् िबनल फिल्म सभक मादे संक्षेपमे जनतब देबय चाहबनि।

वर्ष 1964 ई.मे महंथ मदन मोहन दास, उदयभानु सिंह आ केदारनाथ चौध्रीक संयुक्त प्रयाससँ मैथिली फिल्मक लेल पहिल बेर ‘लाइट, कैमरा, एक्शन’ शब्द गुँजल छल। ‘नैहर भेल मोर सासुर’ नामसँ शुरू भेल मैथिलीक एहि पहिल फिल्मक नाम बादमे कमल नाथ सिंह ठाकुरक कहला पर ‘ममता गाबय गीत’ राखल गेल। एहि फिल्मक प्रोड्यूसरमेसँ एक उपन्यासकार केदारनाथ चौध्रीक अनुसार ‘‘हम 19 सितम्बर, 1963 ई. के ँ कुल सैंतीस हजार टाका ल’ क’ मुम्बइ गेल रही। भोजपुरी फिल्म ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़ैबो’, जे कि बिहारक पहिल फिल्म सेहो प्रमाणित भेल, क निर्माण आ मैथिली फिल्म ‘ममता गाबय गीत’क निर्माण मुम्बइमे लगभग एकहि संग शुरू भेल मुदा रिलीज भेल पहिने ‘गंगा मैया...’। मैथिलियोमे ममता गाबय गीतसँ पहिने ‘कन्यादान’ रिलीज भेल।’’

‘ममता गाबय गीत’ पिफल्मक किछु शूटिंग भेले छल कि कतिपय कारणसँ आगाँक काज ठमकि गेल। लगभग चौदह वर्ष धरि फिल्म निर्माण सम्बन्ध्ी सभटा काज ठमकल रहल। दोसर चरणमे काज जहिया शुरू भेल, निज ताहि दिन हिन्दी फिल्मक प्रख्यात् अभिनेत्राी नर्गिस दत्तक देहान्त भ’ गेलनि। एहि कारणसँ श्र(ांजलि स्वरूप ओहि दिनक शूटिंग स्थगित क’ देल गेल छल।। एहि बेर पिफल्म निर्माणक बीड़ा उठौने रहथि प्रसि( गीतकार-गायक जोड़ी रवीन्द्र-महेन्द्र आ तत्कालीन आयकर आयुक्त सीताराम झा। सीताराम झा ने सिपर्फ एहि पिफल्मक लेल आर्थिक मदद केलखिन बल्कि हिन्दी पिफल्मक प्रसि( निर्माता-निर्देशक जी.पी. सिप्पीसँ निर्माण सम्बन्ध्ी सहयोग दियेबामे सेहो महत्वपूर्ण भूूमिकाक निर्वाह कएलखिन। हिनका लोकनिक समवेत प्रयाससँ वर्ष 1981मे ई पिफल्म रिलीज भेल। दरभंगाक सोसाइटी सिनेमा हॉलमे ई पिफल्म लगभग डेढ़ महीना चलल जखन कि प्रभात टॉकिज,, कोलकतामे तीन महीना ध्रि हाउसपुफल रहल। रवीन्द्रनाथ ठाकुरक गीत आ श्याम शर्माक संगीतसँ सजल एहि पिफल्मक सभटा गीत खूबे लोकप्रिय भेल। सी. परमानन्द निर्देशित एहि पिफल्मक कैमरामैन रहथि सी. प्रसाद, कला निर्देशक रहथि ललित कुमुद आ शूटिंग प्रभारी रहथि विवेकानन्द झा। एहि पिफल्मक आउटडोर शूटिंग मुम्बइक मुलुन्ड आ कांदिवलीमे तथा इनडोर शूटिंग प्रसि( अभिनेता राजेन्द्र कुमारक डिम्पल स्टूडियो आ सुनील दत्तक अजन्ता स्टूडियोमे भेल छल। एहि पिफल्मक डबिंगमे प्रेमलता मिश्र ‘प्रेम’, सारिका एवं वैदेही ;दुनू रवीन्दनाथ ठाकुरक पुत्राीद्धक स्वर स्त्राी-पात्राक लेल कएल गेल छल। कलाकार लोकनिमे त्रिदीप कुमार, अजरा, प्यारे मोहन सहाय, प्रेमलता मिश्र ‘प्रेम’, राजेन्द्र झा, शरत चन्द्र मिश्र, आस नारायण मिश्र, प्रभा मिश्र, ललितेश, प्रेम कुमार मिश्र आदिक अभिनय प्रशंसित त’ खूबे भेल मुदा हिनका लोकनिक अभिनय अध्सिंख्य मैथिल नहि देखि सकलाह। एकर एकमात्रा कारण छल प्रिन्टक अभाव। पिफल्मक केवल एकटा प्रिन्ट उपलब्ध् छल जे बेराबेरी एक ठामसँ दोसर ठाम उपलब्ध् कराओल जाइत छल। हाँ, गीतक कैसेट अवश्य लोकसभ लग आसानीसँ पहुँचि गेल छल। मुहुर्त्तसँ रिलीज ध्रि एहि पिफल्मके ँ लगभग 14 वर्ष लागि गेलैक। एही अवध्मिे पफणी मजुमदार निर्देशित ‘कन्यादान’ ममता गाबय गीतसँ पहिने परदा पर उतरबामे बाजी मारि लेलक आ मैथिलीक पहिल प्रदर्शित पिफल्मक तगमा पाबि गेल।

प्रेमलता मिश्र ‘प्रेम’क अनुसार सभ कलाकार एक दिन निर्देशक सी. परमानन्दक आवास पर रूकलाह तथा दोसर दिनसँ हिनका लोकनिके ँ एकटा र्ध्मशालामे ठहराओल गेल। एहि पिफल्मक मादे एकटा विशेष बात ई जे शूटिंगक दौरान कलाकार लोकनि आपसमे मैथिलीमे गप करैत छलाह। एतेक ध्रि जे निर्देशक सेहो मैथिलीमे निर्देश देब’ लागल छलाह। आइ-काल्हि बनयबला मैथिली पिफल्म सभक क्रममे शूटिंग स्थल आदि पर मैथिली बजबामे कलाकार लोकिनके ँ संकोच होइत रहैत छनि। ई बात हमरा लोकनि मैथिली नाटकक रिहर्सल आदिक क्रममे सेहो देखि सकैत छी।

हरिमोहन झाक प्रसि( उपन्यास ‘कन्यादान’ पर आधरित कन्यादान पिफल्मक पटकथा-संवाद प्रसि( साहित्यकार पफणीश्वर नाथ ‘रेणु’ लिखलनि। कलाकार लोकनिमे रहथि तरुण बोस ;रेवती रमणद्ध, लता बोस ;बुच्ची दाइद्ध, चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’ ;लाल ककाद्ध, ब्रज किशोर ;झारखंडी नाथद्ध, गीता मुखर्जी आदि। पिफल्मक निर्माता रहथि गया निवासी मुंशी प्रसाद। चर्चित कवि गोपालजी झा ‘गोपेश’क सेहो एहि पिफल्मक निर्माणमे महत्वपूर्ण योगदान छलनि। तेसर पिफल्म ‘भौजी माय’ मूलतः शरतचन्द्र चट्टोपाध्यायक प्रसि( बांग्ला कथा ‘रामेर सुमति’ पर आधरित एही नामसँ बनल बांग्ला पिफल्मक डबिंग छल। एकर भाषान्तरण प्रसि( कवि-कथाकार सोमदेव कयने रहथि। निर्देशक रहथि शान्तिलाल सोनी। उपरोक्त तीनू पिफल्ममे मैथिलीक साहित्यकार लोकनिक सहयोग स्पष्ट देखाइत अछि किन्तु आम जनताक सहयोग सेहो कम नहि रहल। चारिम पिफल्म ‘जय बाबा बैजनाथ’ तक अबैत-अबैत मिथिलामे मैथिली पिफल्मक लेल अपेक्षित वातावरणक निर्मिति भ’ गेल छल किन्तु अपफसोस जे हमरा लेाकनि एहि वातावरणके ँ दीर्घकाल ध्रि बनाक’ नहि राखि सकलहुँ। जँ से रहैत त’ एकर बाद बनल ‘मध्ुश्रावणी’, ‘ललका पाग’, ‘अमावस के चान’, ‘हमरा लग रहब’, ‘नाच-गान’ सहित दर्जन भरिसँ बेसी पिफल्म आइयो ध्रि डिब्बामे बन्द नहि रहितय।

उपरोक्त पिफल्मक ई नियति किएक भेलµ से प्रायः सभ पिफल्मक अलग-अलग खेड़हा अछि मुदा मुख्य बात मैथिलक आम बेमारी ‘गोलैसी’ अछि जकर शिकार मिथिलाक प्रायः अन्य सभ विध सेहो होइत रहल अछि। मैथिलीमे ने त’ कथा-पटकथाक अभाव अछि आ ने-गीतकार-संगीतकारक। मिथिलाक एकटा गायक उदितनारयण झा एखन देशक सर्वश्रेष्ठ गायक बनल छथि त’ निर्देशकक रूपमे प्रकाश झा, संजय झा, मनीष झाक लोहा सकल संसार मानि रहल अछि। ई बात त’ अन्यो भाषा-भाषी गछैत छथि जे कलाकारक मामिलामे मिथिलासँ बेसी सम्पन्न क्षेत्रा आन नहि अछि। लोकेशनक मामिलामे सेहो मिथिला अन्य कोनो भूखंडसँ दरिद्र नहि अछि। प्राकृतिक सुषमाक मामिला हो अथवा बाढ़ि-सुखाड़क दृश्य, मिथिलामे बारहोमास उपलब्ध् भेटत। हाँ, अबरजातक लेल रस्ता-बाट पर अवश्य प्रश्न उठाओल जा सकैत अछि।

अभिप्रायः ई जे हमरा लोकनि मैथिली पिफल्म उद्योगके ँ अद्यावध् िस्थापित क’ सकैत रही किन्तु अपन अहंमन्यता आ टंगघिच्चा-घिच्चीमे बिचहिमे लसकि गेल छी।

यद्यपि उपरोक्त सभ स्थिति-परिस्थितिक अछैत वर्ष 1999 अनेक तरहे ँ मीलक पाथर साबित भेल। बीसम शताब्दी जाइत-जाइत व्यवसायिक रूपसँ एकटा एहन सपफलतम मैथिली पिफल्म द’ गेल जे सभटा मिथ्या धरणा-अवधरणाके ँ स्वाहा करैत लैम्प-पोस्ट बनि गेल। मुरलीध्र निर्देशित बालकृष्ण झाक मामूली बजटक पिफल्म ‘सस्ता जिनगी महग सेनूर’ लोकप्रियताक सभ रिकॉर्ड ध्वस्त क’ देलक। ललितेश, रीना, रूबी अरुण अभिनीत ई पिफल्म चारि करोड़सँ बेसी रुपया कमौलक। यद्यपि एहि सपफलताके ँ सेहो हमरा लोकनि आगाँ भजा नहि सकलहुँ तथापि 2000 ई.मे प्रदर्शित पिफल्म ‘आउ पिया हमर नगरी’ घाटामे नहि रहल। कहल जाइत अछि जे एकर निर्देशक रहथि मुरलीध्र मुदा बादमे एकर निर्माता मणिकान्त मिश्र निर्देशकक रूपमे अपन नाम जोड़ि लेलनि। उक्त दुनू पिफल्मक शूटिंग मिथिलेमे भेल छल आ परदा पर भव्यतामे कोनहु कोनसँ कम नहि बुझना गेल।

2001मे दू टा वीडियो पिफल्म बनल आ व्यवसायिक दृष्टिकोणसँ दुनू असपफल रहल। गोपाल पाठक निर्देशित ‘ममता’ जतय रमेश रंजन, प्रवेश मल्लिक, संजीव आदिक अभिनयक बले ँ कहुना एक सप्ताह ध्रि चलि सकल ओतहि राजीव गौतम निर्देशित ‘सपना भेल सोहाग’ एतबो दिन नहि खेप सकल। वीडियो पिफल्म निर्माण यद्यपि अन्य माध्यमक अपेक्षा सस्ता छैक किन्तु मिथिलामे वीडियो हॉलक अनुपलब्ध्ता आ एहि तरहक पिफल्मक लेल अपेक्षित मानसक अभाव छैक। उक्त दुनू वीडियो पिफल्मक असपफलताक एकटा कारण एकर कमजोर पिफल्मांकन आ प्रचार-प्रसारमे अभाव सेहो छल।

वर्ष 2004मे निर्माता बालकृष्ण झा अपन दोसर पिफल्म ‘सेनूरक लाज’ ल’ क’ अपन पहिल पिफल्म ‘सस्ता जिनगी महग सेनूर’क सपफलताके ँ दोहराब’ चाहलनि किन्तु ई राजकमल चौध्रीक चर्चित कथा ‘ललका पाग’क पैरोडी संस्करण प्रमाणित भ’ क’ रहि गेल। निर्देशक विनीत यादव एहि पिफल्मके ँ कोनो कोनसँ नहि सम्हारि सकलाह। समुचित प्रकाशक अभावसँ पिफल्म बहुत सापफ नहि देखाइत अछि। महिला दर्शकके ँ रिझेबामे यद्यपि ई पिफल्म सपफल रहल किन्तु अपन घाटाके ँ नहि पाटि सकल।

2005मे आयल ‘कखन हरब दुख मोर’क प्रचार-प्रसारमे कमी नहि कएल गेल किन्तु सिनेमा घरक टिकट खिड़की पर भीड़ नहि जुटि सकल। निर्माता संजय राय आ निर्देशक संतोष बादलके ँ बादमे टी. सीरीजक सहयोगसँ बजारमे एहि पिफल्मक सीडी उतार’ पड़लनि जकर रिकार्ड-तोड़ बिक्री भेल। एही वर्ष निर्देशक अभिजीत सिंहक ‘दुलरूआ बाबू’ सेहो प्रदर्शित भेल किन्तु कमजोर पटकथाक कारणे असपफल भ’ गेल।

वर्ष 2006मे पेफर दू टा वीडियो पिफल्म बनल आ दुनू मुहें भरे खसल। मनोज झा निर्देशित ‘गरीबक बेटी’ आ गोपाल पाठक निर्देशित ‘अहाँ छी हमरा लेल’ सपफलताक कोनो नव अध्याय नहि लिखि सकल। कहि सकैत छी जे असपफलता आइधरि मैथिली पिफल्मक सपफलताके ँ गछारने अछि। हाँ, ‘गरीबक बेटी’मे अनिल मिश्राक अभिनय प्रभावकारी छल।

2007मे सुहागिनक निर्माण आरम्भ भेल जकरा मादे हम पहिनहि कहि चुकल छी जे ई पिफल्म एक सालक निर्माण-यात्राक बाद नवम्बर 2008मे सिनेमाहॉलसँ किछुए दिनमे उतरि गेल।

वर्ष 2008मे निर्माणाध्ीन पिफल्मक श्रेणीमे चारि टा पिफल्म छल जाहिमे एक चुटकी सिन्दूर, काजर, किसलय कृष्णक निर्देशनमे बनय जा रहल ‘हम्मर अप्पन गाम अप्पन लोक’ आ सूरज तिवारी निर्देशित ‘पिया संग प्रीत कोना हम करबै’ शामिल अछि। जनतबक अनुसार, अजित कुमार आजादक पटकथा पर बनय जा रहल ‘हमर अप्पन गाम अप्पन लोक’ वर्ष 2009 मे इन्द्रपूजाक अवसर पर रिलीज कएल जायत जखन कि प्रोड्यूसर जितेन्द्र झाक ‘पिया संग प्रीत कोना हम करबै’ दुर्गापूजामे। एखन धरि त’ कोनो एक वर्षमे चारिटा मैथिली पिफल्म एक संगे नहिये रिलीज भेल अछि। ओना, पहिनेक तुलनामे स्थिति बदललैक अछि। देखा-चाही जे एहि बदलल स्थितिक लाभ पिफल्म निर्माणसँ जुड़ल लोकसभ कोन तरहे ँ उठा पबैत छथि। मिथिलाक दर्शक आब मैथिलीमे नीक पिफल्म देखय चाहैत छथि तकर अनुमान कैसेट-सीडीक बिक्रीसँ त’ लगाओले जा सकैत अछि।
मैथिली फ़िल्म - महत्वपूर्ण कालक्रम
मैथिली फिल्म के इतिहास में बरका पर्दा पर अखन तक प्रदर्शित फिल्म वर्ष १९९९ के अंत मैथिली फिल्म के स्वर्णिम काल मैथिली फिल्म के आधुनिक स्वरूप मुखिया जी प्रदर्शन के करिव य!!!
कन्यादान .......................................१९७१
जय बाबा बैधनाथ .............................१९७३
ममता गाबे गीत ..............................१९८२
सस्ता जिन्दगी महंग सेनुर ................१९९९
आऊ पिया हमर नगरी .......................२०००
सेनुरक लाज ....................................२००४
कखन हरब दुःख मोर ........................२००५
दुलरवा बाबु .....................................२००६
सेंदुरदान..........................................२००८
सेनुरया{साउथ के मथिली में रूपांतरण} ..२०१०
अपन गाम अपन लोग [अ प्रदर्शित}.........२०१०
पिया संग प्रीत करब कोना ...................२०१०
सजना के अंगना में सोलह सिगार .........२०११
मुखिया जी {कमिग सुन}......................२००१


मिथिला दर्शन, कोलकाता मे 2009 प्रकाशितद्ध सम्पर्क: 21, एम.आइ.जी., हनुमान नगर पटना-20, मो.-०९२३४९४२६६१
सभार - सशीमोहन 
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1 comments

  1. सूचना स्रोत आर साभार लगाबक लेळ सॠदय धन्यवाद राजीव जी!!
    भास्कर झा
    http://maithilicinema.blogspot.com/2011/10/blog-post_27.html

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