The Historical Tourist Place Of Mithila(Saharsha):- ugra Tara Shaktipith Mahishi

मिथिला के भव्य और पवित्र स्थान में स एक,सहरसा स्थित महिषी गाँव (प्राचीन काल में महिष्मा के नाम सअ जानल जाइत छल) में माँ उग्रतारा 
के प्रसिद्ध मंदिर अछि ! कहल जाइत छैक कि, शिव तांडव में सती के बायाँ आँइख अही स्थान पर खसल छल ,जतय अक्षोभ्य ऋषि सहित नील सरस्वती और एक जाता भगवती के संग महिमामयी उग्रतारा के मूर्ति विराजमान अछि ! इहो मान्यता छैक कि, जखन भगवान शिव महामाया सती के शव लअ कअ विक्षिप्त अवस्था में ब्रह्मांड के विचरण कअ रहल छलैथ, तखन सती के नाभि महिषी गाँव में खसल छल ! कहल जाइत छैक कि "वशिष्ठ मुनि" हिमालय के तराई तिब्बत में उग्रतारा विद्या के महासिद्धी के बाद धेमुड़ा (धर्ममूला) नदी के कात स्थित महिष्मति (वर्तमान महिषी) में माँ उग्रतारा के स्थापित केलाह ।अही लेल इ मंदिर सिद्ध पीठ और तंत्र साधना का केंद्र अछि ।अहि मंदिर सअ सौ कदम दूर, लगभग दू एकड़ के वीरान भूमि अछि ,जतय पैर रखिते एक अदृश्य आकर्षण के अनुभूति होइत अछि !
अहि ठाम द्वितीय शंकराचार्य के रूप में विख्यात महापुरुष "मंडन मिश्र" के जन्म भेल छल जिनका संग आदि शंकराचार्य के शास्त्रार्थ भेल छल ! पराजय बाद हुनकर पत्नी "भारती" अपन पति के स्वाभिमान के रक्षा के लेल आदि शंकराचार्य के शास्त्रार्थ में चुनौती देलैथ और पराजित केलीह। किंबदन्ति छैक कि निरंतर शास्त्रार्थ के कारण , अहि ठाम के सुग्गा और अन्य चिरई, शास्त्र के बात करैत छल



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