मिथिलाक प्रोबोध बाबु
प्रोबोध नारायण सिंहक जन्म 12 फेबुबरी 1924 कें अपन मातृक एखुनका मधेपुर जिलाक पस्तपार गाम म भेल छलनि! नन्हिएटा मेधाबी छात्रक रुपमे परचित हिनक प्राथमिक शिझा पैतृक ग्राम सह्मौरा तथा सहरसा में भेल ! इंटर भागलपुर सँ एवंम बी.ए पटना सँ कएलनि ! ओना स्वाधीनता संग्राम में उग्र सह्भागिताक कारने अध्यन में व्यवधान अबैत रहल आ एक समय एहोनो आयल जखन इ तत्कालीन सर्कार दुआरा भगोड़ा घोषित कएल गेल छलाह ! छात्र जीवन में पटना सँ प्रकाशित होएवला हिंदी-उर्दू पत्रिका "मेल-मिलाप" क ई सम्पादक मंडल में छलाह ! 1948 ई. में प्रबोध बाबु कलकता अएलाह एवंम हिंदी दैनिक लोकमान्य में सहायक सम्पादक रूप में कार्य करए लगलाह आ ताहि संग अध्यन सेहो जारी रखलनि ! 1950 में दू गोट स्वर्ण पद्कक संग हिंदी में एम्.ए क डिग्री पओलनी! 1968ई. में तुलनात्मक भाषा-विज्ञानं,1969 ई. में पाली तथा 1970ई. में फारसी में एम्.ए. केलनि आ सभ विषय में स्वर्ण पदक प्राप्त भेलनि! 1972ई. में कलकता विश्वविधालय सँ डी.लिट आ 1976 में मगध विश्वविधालय सँ दोसर डी.लिट प्राप्त केलनि ! चारुचंद्र कॉलेज सँ अध्यापन आरम्भ क जयपुरिया कॉलेज होइत 1959 में कलकता विश्वविधालयक स्नातकोतर हिंदी विभाग में योग देलनि आ 1990इ. में विभागाध्यझक पद सँ सेवानिवृत भेलाह ! सामाजिक संगठनक अदभुत झमता रखनिहार प्रोबोध बाबु सर्वदा मैथिली भाषा-आंदोलनक अग्रिम पाँति में सजग रहलाह ! मैथिलीक उत्थानक लेल कलकता में एवंम ओकर लग-पास रहनिहार शिझित एवंम कमासुत मैथिल में सामाजिकता एवंम भाषा-चेतनाक लेल ओ बाबु साहेब चोधरी आ देवनारायण झाक संग अखिल भारतीय मिथिला संघक स्थापना कयलनि !
प्रोबोध बाबु मैथिली भाषा आंदोलनक चरम काल में ओकर समन्वयक लेल अखिल मैथिली महासंघक स्थापना कयलनि जे महासंघ अनेक छोट-छोट मैथिली संस्थाक लेल मार्ग-निर्देशनक काज करैत रहल ! भाषा आंदोलनक क्रम में प्रोबोध बाबु अपन कतिपय अनुयायीक संग मिथिलाक गाम-गाम भ्रमण कय ओजस्वी भाषण सँ लोग कें प्रभावित कयलनि जे आइयो स्मरण कयल जाइत अछि !
मातृभाषाक अनन्य उपासक प्रो. सिंह 1953 सँ मिथिला दर्शन मासिक पत्रक प्रकाशन/सम्पादन आरम्भ केलनि जे मैथिली आंदोलनक मुखपत्रक रूप में ख्यात अछि ! अपन दीर्घ संपदाकक जीवन में ओ अनेक नवतुरिया लेखक एवंम विद्वान कें अपन उर्वर तथा समृद्ध मातृभाषा मैथिली में लिखबाक लेल प्रेरित कयने छलाह !
हुनका में अदभुत नेतृत्व झमता एवंम अभिभावकत्व गुण छलनि! ओ जतय कतहु जाथि व्यक्तिगत रूपसँ नवतुरिया कें प्रोत्साहित एवंम प्रशिझित करथि! प्रोबोध बाबु अपन जीवन काल में अनेक छात्र,विद्वान,साहित्यकार एवंम सामान्य जनक जीवन कें प्रोत्साहित एवंम संबल दए बदलि देलनि ! सभसँ महुत्यपुर्म बात तं ई अछि जे ओ मैथिली भाषाक विकाश कें एक अभिनव दिशा दए मिथिलावासी कें नव आशा प्रदान कयलनि !
अध्यन- अध्यापन-आंदोलनक वयस्तता रहितो प्रोबोध बाबुक लेखनी सदा गतिशील छल परिणामतः हिनक तीन गोट मैथिलीक मौलिक काव्य संकलन, एक नाटक तथा तीन अनुदित नाटक एवंम दू गोट हिंदी काव्य-ग्रंथ प्रकाशित छनि! जीवनक सांध्य बेला में प्रोबोध बाबु कें 2002 में कुअर्तुल एन हैदरक प्रसिद्ध उर्दू उपन्यास "पतझड़ की आवाज" क उत्कृष्ट मैथिली अनुवाद "पतझड़ स्वर " क लेल साहित्य अकादमी परुस्कारसँ सम्मानित कयल गेलनि ! 20 मार्च 2005 कें हिनक देहावसान भ गेलनि !
मैथिली भाषाक विकास में प्रोबोध बाबुक अभूतपूर्व योगदान सदा स्मरणीय रहत ! प्रोबोध बाबुक चमत्कारी एवंम अदभुत प्रेरक व्यक्तित्व के मृत्युप्रान्तो ओहिना स्मरण कयल जाइछ जेना हुनक जीवन काल में तकर आदर कयल जाइत छल!
जय मैथिल जय मिथिला
राजीव मिश्र (अपन मिथिला धाम)
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