कविजीक एवजी
जरल कपार तही दिन जहिये कविवर हाथे सिन्दुरदान !
कविजी केर एवजी में रहिते, कोनो कमौआ हो भगवान !!
सौतिनियाँ जरलाही कविता, दिवारती ओकरे सत्यकार !
हमरा टिकली काजर दुर्लभ, धोंछी कें सोलह सिंगार !!
ऊपर मोने कखनो टोकता, कविते दीस भितरिया ध्यान !!
कविजी केर एवजी में रहिते, कोनो कमौआ हो भगवान !!
तेसर दिन पर कवि सम्मलेन, भरे राति जगले ओइ ठाम !
आमद एकता पाग उजरका, जेबी में नहि एक छदाम !!
की कहता? गोष्ठी बड़ जमलै, धो- धो चाटू मान-सम्मान !
कविजी केर एवजी में रहिते, कोनो कमौआ हो भगवान !!
करौ दिन में कवि सम्मलेन, राति थिकै पत्निक अधिकार !
कोन भुत लागल बतहा कें, बुझै न' रंग रभस बेवहार !!
ओ त' कहू अपने हम काबिल, तें एगो पछतो संतान !
कविजी केर एवजी में रहिते, कोनो कमौआ हो भगवान !!
हमरे झुमका टौप्स बेचिकें, छपबौलनी कविताक किताब !
ओहिना बान्हल बोरा राखल, कें किनतै मुसकट्टा आब?
तै सँ नीक मनोहर पोथी, टीसन पर बेचने धनवान !
कविजी केर एवजी में रहिते, कोनो कमौआ हो भगवान !!
मुर्ख दियर परदेश पकड्लक, गोतनी जिम्मा छुचे पाई !
देह डोलाबे' टक्का पाबे' कविजी कें ध्क्काक विदाई !!
जक्कर बर कविवर ऐ युग में, से आजीवन झुर झमान !
कविजी केर एवजी में रहिते, कोनो कमौआ हो भगवान !!
आब निमंत्रण कार्ड एतै की साफ निपत्ता हम क' देब !
बैसल रहथु गाम पर अथबल, भुखले सुतल रहब की लेब?
नै समाज कें हिनक बेगरता, नगन नर्तकी दिस टकध्यान !
कविजी केर एवजी में रहिते, कोनो कमौआ हो भगवान !!
कवि सब आब कुमारे रहता, ककरा बेटी हेतै जपाल !
पेट ऊपर आफत तं सहजहिं, देह नेह पर सहित अकाल !!
मुदा कहै छी ओहनो मनसा नै रहला पर सुन्न मसान !
कविजी केर एवजी में रहिते, कोनो कमौआ हो भगवान !!
जरल कपार तही दिन जहिये कविवर हाथे सिन्दुरदान !
कविजी केर एवजी में रहिते, कोनो कमौआ हो भगवान !!
सौतिनियाँ जरलाही कविता, दिवारती ओकरे सत्यकार !
हमरा टिकली काजर दुर्लभ, धोंछी कें सोलह सिंगार !!
ऊपर मोने कखनो टोकता, कविते दीस भितरिया ध्यान !!
कविजी केर एवजी में रहिते, कोनो कमौआ हो भगवान !!
तेसर दिन पर कवि सम्मलेन, भरे राति जगले ओइ ठाम !
आमद एकता पाग उजरका, जेबी में नहि एक छदाम !!
की कहता? गोष्ठी बड़ जमलै, धो- धो चाटू मान-सम्मान !
कविजी केर एवजी में रहिते, कोनो कमौआ हो भगवान !!
करौ दिन में कवि सम्मलेन, राति थिकै पत्निक अधिकार !
कोन भुत लागल बतहा कें, बुझै न' रंग रभस बेवहार !!
ओ त' कहू अपने हम काबिल, तें एगो पछतो संतान !
कविजी केर एवजी में रहिते, कोनो कमौआ हो भगवान !!
हमरे झुमका टौप्स बेचिकें, छपबौलनी कविताक किताब !
ओहिना बान्हल बोरा राखल, कें किनतै मुसकट्टा आब?
तै सँ नीक मनोहर पोथी, टीसन पर बेचने धनवान !
कविजी केर एवजी में रहिते, कोनो कमौआ हो भगवान !!
मुर्ख दियर परदेश पकड्लक, गोतनी जिम्मा छुचे पाई !
देह डोलाबे' टक्का पाबे' कविजी कें ध्क्काक विदाई !!
जक्कर बर कविवर ऐ युग में, से आजीवन झुर झमान !
कविजी केर एवजी में रहिते, कोनो कमौआ हो भगवान !!
आब निमंत्रण कार्ड एतै की साफ निपत्ता हम क' देब !
बैसल रहथु गाम पर अथबल, भुखले सुतल रहब की लेब?
नै समाज कें हिनक बेगरता, नगन नर्तकी दिस टकध्यान !
कविजी केर एवजी में रहिते, कोनो कमौआ हो भगवान !!
कवि सब आब कुमारे रहता, ककरा बेटी हेतै जपाल !
पेट ऊपर आफत तं सहजहिं, देह नेह पर सहित अकाल !!
मुदा कहै छी ओहनो मनसा नै रहला पर सुन्न मसान !
कविजी केर एवजी में रहिते, कोनो कमौआ हो भगवान !!
लेखक:- जय प्रकाश चौधरी"जनक"
साभार:- जय प्रकाश चौधरी"जनक"
प्रस्तुति:- राजीव मिश्र(अपन मिथला धाम)
सुचना:- कृपया क कें अही कविता क कोप्पी न करी और एकरा इत्र-वित्र जगह पर पोस्ट नै करी.
साभार:- जय प्रकाश चौधरी"जनक"
प्रस्तुति:- राजीव मिश्र(अपन मिथला धाम)
सुचना:- कृपया क कें अही कविता क कोप्पी न करी और एकरा इत्र-वित्र जगह पर पोस्ट नै करी.
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